मध्य प्रदेश में सीट बंटवारे पर ‘महाभारत’, क्या अखिलेश यादव इंडिया गठबंधन से हो जाएंगे बाहर?
अखिलेश यादव का ग़ुस्सा सातवें आसमान पर है. उन्हें लगता है कि कांग्रेस ने उनके साथ धोखा किया है. एमपी कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ की बात उन्हें चुभ गई है. वैसे दोनों नेताओं के रिश्ते अच्छे बताए जाते हैं. लेकिन एमपी चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर अब कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में ठन गई है. अखिलेश यादव ने तो इंडिया गठबंधन से बाहर निकलने की धमकी तक दे डाली है.
सीटों के तालमेल को लेकर अखिलेश यादव और कमलनाथ के बीच कई दौर की बातचीत हुई, लेकिन फ़ार्मूला तय नहीं हो पाया. समाजवादी पार्टी के सूत्रों का दावा है कि अखिलेश यादव तो पांच सीट लेने पर भी राज़ी हो गए थे. लेकिन कांग्रेस ने नवरात्रि के पहले ही दिन उन सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी जिन पर समाजवादी पार्टी का दावा था. अब अखिलेश यादव एमपी में कम से कम पचास सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. इस बात पर भी विचार चल रहा है कि अब समाजवादी पार्टी छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी चुनाव लड़ेगी. इन दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकारें हैं.
पांडवों ने पांच गांव मांगे थे लेकिन कौरव उन्हें सुई की नोक के बराबर ज़मीन देने को तैयार नहीं हुए. इसी बात पर महाभारत हो गया. क्या कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच भी ऐसे ही हालात बन गए हैं. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को तो कम से कम ऐसा ही लगता है. कानपुर में उन्होंने कह दिया कि कांग्रेस स्पष्ट करे कि इंडिया गठबंधन प्रदेश स्तर पर है कि नहीं! अगर नहीं है तो फिर समाजवादी पार्टी इस गठबंधन से बाहर आ जाएगी. कानपुर में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि जहं हम मज़बूत थे बस वही सीटें तो मांग रहे थे. सीटों का तालमेल न होने पर कमलनाथ के बयान से अखिलेश यादव नाराज़ हैं. एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भोपाल में कहा था कि इंडिया गठबंधन लोकसभा चुनावों के लिए है.
सपा और कांग्रेस में नहीं बनी सीट पर बात
समाजवादी पार्टी एमपी चुनाव के लिए अब तक 9 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर चुकी है. पार्टी की तरफ़ से शुरुआत में कांग्रेस से दस से बारह सीटों की डिमांड की गई थी. इस बारे में कमलनाथ और अखिलेश यादव आपस में बातचीत कर रहे थे. बीते शनिवार को दोनों नेताओं में आख़िरी बातचीत हुई थी. तब तय हुआ था कि समाजवादी पार्टी के लिए कांग्रेस पांच सीटें छोड़ सकती हैं. कहा गया कि कांग्रेस का एक उम्मीदवार समाजवादी पार्टी के निशान पर चुनाव लड़ेगा. लेकिन इस फ़ार्मूले से कांग्रेस बाद में मुकर गई. बस यही से बात बिगड़ने लगी है.
एमपी में पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से एक विधायक चुना गया था. जबकि छह सीटों पर पार्टी दूसरे नंबर पर रही थी. अखिलेश यादव ने दो दिनों के लिए एमपी का दौरा किया था. रीवा में उन्होंने अपनी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार भी किया पर कांग्रेस के खिलाफ एक शब्द नहीं कहा. उन्होंने कहा था कि हमारा लक्ष्य बीजेपी को हराना है लेकिन अब तो कई सीटों पर इंडिया गठबंधन के सहयोगी दल ही एक-दूसरे के सामने होंगे. तो क्या ऐसे में लोकसभा चुनाव को लेकर यूपी में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में बात बिगड़ सकती है!