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आसपुर सीट पर एक दशक से BJP का कब्जा, 2008 के बाद से कांग्रेस को नहीं मिली जीत

आसपुर सीट पर एक दशक से BJP का कब्जा, 2008 के बाद से कांग्रेस को नहीं मिली जीत

 

राजस्थान के डूंगरपुर जिले की आसपुर विधानसभा सीट ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है. चार राज्यों के लोगों की आस्था का केंद्र बेणेश्वर धाम इसी विधानसभा में पड़ता है. वहीं प्रसिद्ध शक्तिपीठ विजवा माता तथा आशापुरा धाम भी इस क्षेत्र की आस्था का केंद्र हैं. उदयपुर संभाग का दूसरा सबसे बड़ा सोमकमला आम्बा बांध भी आसपुर विधानसभा में है, जहां से क्षेत्र के अलावा आधे जिले में सिंचाई और पेयजल की आपूर्ति की जाती है.

सोमकमला बांध की नहरें आसपुर विधानसभा क्षेत्र की जीवन रेखा हैं. भरपूर पानी मिलने से इस क्षेत्र में फसलों का अधिक उत्पादन होता है. बांसवाडा और उदयपुर को जोड़ने वाला हाइवे इसी विधानसभा से होकर गुजरता है. आसपुर विधानसभा क्षेत्र बांसवाडा, प्रतापगढ़ और उदयपुर जिले की सीमा से लगता है.

यहां का जातिगत समीकरण
आसपुर विधानसभा सीट एसटी के लिए आरक्षित है. इस क्षेत्र करीब 55 प्रतिशत आदिवासी आबादी निवास करती है. 30 प्रतिशत आबादी राजपूत और पाटीदार वर्ग की है, जो भाजपा का मजबूत वोट बैंक माना जाता है. वहीं शेष 15 प्रतिशत दलित और ब्राह्मण सहित अन्य वर्ग की आबादी है. इस क्षेत्र में वोटर्स की संख्या 2 लाख 42 हजार 208 है.

हाल ही में गहलोत सरकार ने सलुम्बर को नया जिला बनाने की घोषणा की है. सलुम्बर आसपुर विधानसभा से लगता हुआ है, ऐसे में डूंगरपुर जिले की आसपुर विधानसभा से साबला और आसपुर पंचायत समिति सलुम्बर में जाने की सम्भावना है. इसे लेकर क्षेत्र के लोग दो धड़ों में बंटे हुए हैं. एक धड़ा सलुम्बर में मिलना चाहता है तो दूसरा डूंगरपुर में ही रहना चाहता है.

सोमकमला आम्बा बांध से अवैध बजरी खनन और पूंजपुर क्षेत्र में क्वार्ट्ज पत्थर के अवैध खनन पर प्रभावी अंकुश नहीं लग पाना
सोमकमला आम्बा बांध की नहरों के सीपेज से खेतों का ख़राब होना
क्षेत्र में फैले नहरों के जाल की सफाई और मरम्मत के लिए समय पर बजट नहीं आता.
यहां का राजनीतिक इतिहास
1957 – भोगीलाल पंड्या – कांग्रेस
1962 – लक्ष्मण सिंह – स्वतंत्र पार्टी
1977 भीमजी – कांग्रेस
1980 – महेंद्र कुमार परमार – कांग्रेस
1985 – महेंद्र कुमार परमार – कांग्रेस
1990 – महेंद्र कुमार परमार – कांग्रेस
1993 – भीमराज मीणा – बीजेपी
1998 – ताराचंद भगोरा – कांग्रेस
2000 – राईया मीणा – कांग्रेस
2003 – राईया मीणा – कांग्रेस
2008 – राईया मीणा – कांग्रेस
2013 – गोपीचंद मीणा – बीजेपी
2018 – गोपीचंद मीणा – बीजेपी

बांसवाडा और डूंगरपुर जिले को जोड़ने के लिए बेणेश्वर टापू पर 130 करोड़ का पुल स्वीकृत, काम चल रहा है.
क्षेत्र में दो बड़े एनिकट और 3 आईटीआई भवन स्वीकृत होकर निर्माण कार्य चल रहा है.
साबला और दोवडा को पहले पंचायत समिति और फिर तहसील मुख्यालय बनाया.
112 गांवों में शुद्ध पेयजल के लिए 365 करोड़ की योजना स्वीकृत कराई.
क्षेत्र की सड़कों का नवीनीकरण और सुध्राधिकरण कराया.
सरकार में नहीं होने के कारण सार्वजनिक कार्यक्रमों से दूर रहना कमी रही.
वर्तमान विधायक का राजनीतिक सफर
आसपुर विधानसभा से भाजपा विधायक गोपीचंद मीणा (60) किसान हैं. गोपीचंद मीणा ने 12वीं कक्षा तक पढाई की है और अपने सादगी भरे व्यक्तित्व के कारण क्षेत्र में लोकप्रिय हैं. एक किसान के बेटे गोपीचंद मीणा डाकिये की नौकरी करते हुए घर-घर डाक बाटा करते थे. बाद में डाकिये की नौकरी छोड़कर गोपीचंद मीणा राजनेतिक मैदान में उतरे. वह एक बार पंचायत समिति सदस्य का चुनाव जीते तो वहीं एक बार जिला परिषद् सदस्य का चुनाव हारे. इसके आलावा भाजपा संगठन में विभिन्न पदों पर भी काम किया. वर्ष 2013 में वसुंधरा सरकार में विधायक रहे और 2018 में फिर आसपुर के विधायक बने.

31 मार्च 2023 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष तक 4 साल के कार्यकाल में विधायक गोपीचंद मीणा को विधायक फंड के रूप में 12 करोड़ रुपये मिले. इसमें विभिन्न विकास कार्यों पर 6 करोड़ 42 लाख रुपये खर्च किये गए, जबकि लम्बे समय से अधूरे पड़े कार्यों के चलते 5 करोड़ 58 लाख रुपये अभी तक खर्च नहीं हो पाए है.

विधायक गोपीचंद मीणा ने 4 सालों में विधायक मद से पंचायतीराज विभाग के लिए 3 करोड़ 96 लाख, शिक्षा विभाग के लिए 86 लाख और चिकित्सा विभाग के लिए एक करोड़ 60 लाख रुपये के विकास कार्यो की अनुशंसा की है. जबकि सार्वजनिक निर्माण विभाग, जल संसाधन विभाग, खेल विभाग, पुलिस विभाग तथा जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग में विकास कार्यों के लिए गोपीचंद मीणा ने जीरो बजट दिया है.

अधूरे वादे
आसपुर में एक भी सरकारी कॉलेज नहीं है. इसके लिए वर्षों से प्रयास चल रहे है.
आसपुर विधानसभा क्षेत्र में एक भी बड़ी औद्योगिक इकाई नहीं है. रोजगार के लिए पलायन करना पड़ता है.
क्षेत्र के अस्पतालों डॉक्टर्स और अन्य स्टाफ के काफी पद रिक्त है, ऐसे में चिकित्सा सेवाएं कमजोर है.
बेणेश्वर धाम के विकास के लिए बने मास्टर प्लान पर प्रभावी ढंग से काम नहीं हो रहा है.
सीट के रोचक तथ्य
राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के आदिवासियों की आस्था का स्थल बेणेश्वर धाम इस विधानसभा में आता है.

बेणेश्वर धाम पर हर साल माघ पूर्णिमा पर राष्ट्रीय मेला भरता है, जिसे आदिवासियों का महाकुम्भ भी कहते हैं. मेले में देशभर से लोग आते हैं.
पूर्व राजपरिवार के महारावल लक्ष्मण सिंह आसपुर विधानसभा से विधायक होकर विधानसभा के अध्यक्ष रहे.
वागड़ गांधी नाम से जाने जाने वाले स्वर्गीय भोगीलाल पंड्या इस विधानसभा के पहले विधायक रहे हैं.
सीट के बड़े तथ्य
बेणेश्वर धाम के दिवंगत संत मावजी महाराज की 300 साल पुराणी भविष्यवाणियां आज प्रासंगिक हो रही है.
मावजी महाराज के चोपडों में लिखी भविष्य वानिया देखने देश विदेश से लोग आते हैं.
बेणेश्वर धाम की गादी पर वर्तमान में महंत अच्युतानंद पदासीन हैं.
2018 में पहली बार चुनावी मैदान में उतरी भारतीय ट्राइबल पार्टी ने बीजेपी और कांग्रेस के होश उड़ाए. बीटीपी उम्मीदवार महज 5 हजार वोट से चुनाव हारकर द्वितीय स्थान पर रहा.

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Author: pnews

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