गुजरात के इस अस्पताल में होता है कुत्तों का डायलिसिस
गुजरात के सूरत में पशुओं के लिए भी डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध है. यहां के पशु चिकित्सालय में हर साल कम से कम 10 पालतू कुत्तों व अन्य पशुओं को यह सुविधा मिल रही है. यह सुविधा में कुत्तों में बढ़ती किडनी की बीमारी और इस बीमारी से हो रही मौतों को देखते हुए शुरू की गई है. इस लियो डायलिसिस सेंटर पर न केवल सूरत, बल्कि गुजरात के अन्य हिस्सों से भी लोग अपने पालतू कुत्तों को इलाज के लिए लेकर पहुंच रहे हैं.
इस तरह की सेवा शुरू करने वाले डॉ: महेंद्र चौहान खुद नेत्र रोग विशेषज्ञ हैं. वहीं इस सेंटर पर उनकी सहयोग उनकी पत्नी डॉ. बिनोदिनी चौहान करती है. वह खुद स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं. पहले इस डॉक्टर दंपत्ति ने एक कुत्ता पाला था, उसका नाम लियो था. किडनी की बीमारी की वजह से लियो की मौत के बाद इस डॉक्टर दंपत्ति ने कुत्ते की ही नाम पर लियो डायलिसिस सेंटर शुरू कर दिया. उनके डायलिसिस सेंटर में इंसानों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली 10 लाख रुपये की डायलिसिस मशीन का इस्तेमाल कुत्तों के लिए होता है.
डॉ. महेंद्र कहते हैं कि कुत्तों के डायलिसिस से पहले उनकी जांच पड़ताल के लिए यहां विधिवत एक फ्रोलॉजिस्ट की नियुक्ति की गई है. वह डायलिसिस से पहले और बाद में जांच और इलाज करते हैं. वह कहते हैं कि पालतू कुत्तों को नियमित रूप से टीका लगना चाहिए. यदि सभी टीके समय पर लग जाएं तो उनमें बीमारी होने का खतरा कम हो जाता है. उन्होंने कुत्तों के लिए कोरोना वैक्सीन के साथ-साथ करीब 7 अन्य वैक्सीन की भी जरूरत बताई. कहा कि कुत्तों का टीकाकरण तीन महीने की उम्र में एंटी-रेबीज के साथ शुरू हो जाता है.
वह कहते हैं कि कुत्तों को हमेशा घर में बंद कर के नहीं रखना चाहिए. बल्कि उन्हें दिन में दो से तीन बार घुमाने के लिए बाहर ले जाना चाहिए. कई कुत्ते के मालिक अपने कुत्तों को परिवार की तरह मानते हैं. उन्हें अक्सर घूमने या पिकनिक के लिए भी ले जाते हैं. लेकिन इसमें भी आदमी को सावधानी बरतनी चाहिए. कारण कि कई ऐसी भी जगह हैं, जहां कुत्तों को ले जाना मना है.