बिहार शिक्षक वेतन कटौती का आदेश, 22 शिक्षक निलंबित
बिहार में शिक्षा विभाग के हालिया परिपत्रों को लेकर चल रहे विवाद के बीच विभाग ने निरीक्षण के दौरान ड्यूटी से अनुपस्थित पाए गए 2,081 से अधिक स्कूल शिक्षकों के वेतन में कटौती कर दी है. राज्य सरकार ने पिछले चार महीनों के दौरान शिक्षण कार्य संबंधी उल्लंघन के लिए 22 अन्य शिक्षकों को निलंबित कर दिया है. बिहार के शिक्षा विभाग ने शिक्षक भर्ती नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन करने के आरोप में 17 शिक्षकों को सेवा से बर्खास्त करने की भी सिफारिश की है.
बिहार के सरकारी स्कूलों में अनुपस्थिति के कारण 21,90,020 विद्यार्थियों के नाम (24 अक्टूबर तक) काटे जाने को लेकर नीतीश कुमार सरकार पहले से ही आलोचना का सामना कर रही है. जिन विद्यार्थियों के नाम काटे गए हैं उनमें 2.66 लाख ऐसे विद्यार्थी भी शामिल हैं जिन्हें कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षा में शामिल होना था. बिहार में महागठबंधन सरकार के सहयोगी दलों और विपक्षी पार्टी भाजपा, दोनों ने उक्त आदेश को तत्काल वापस लेने की मांग की है.
बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के निर्देश के बाद जब से विभाग ने एक जुलाई से स्कूलों का सघन निरीक्षण अभियान शुरू किया है, तब से प्रखंड से लेकर जिला स्तर तक के अधिकारी विभाग द्वारा तैयार किये गये रोस्टर के अनुसार स्कूलों का निरीक्षण कर रहे हैं. विभाग ने पिछले चार महीने में 2,081 शिक्षकों के वेतन में कटौती की है, जो सक्षम अधिकारियों की अनुमति के बिना शिक्षण कार्य से अनुपस्थित पाए गए थे. 590 और शिक्षकों के वेतन में भी कटौती की सिफारिशें की गई है, जबकि 22 शिक्षकों को पहले ही निलंबित कर दिया गया है.
शिक्षण संबंधी विभिन्न उल्लंघनों के मामले में 49 अन्य के खिलाफ निलंबन की सिफारिश की गई है. बिहार के शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “पिछले चार महीने में बिहार स्कूल शिक्षक भर्ती नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन करने के आरोप में 17 शिक्षकों को बर्खास्त करने की सिफारिश की गई है.” शिक्षकों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए टीईटी प्राथमिक शिक्षक संघ के संयोजक राजू सिंह ने शुक्रवार को कहा, ”हम शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों के खिलाफ शुरू की गई वेतन कटौती, निलंबन और बर्खास्तगी सहित सभी कार्रवाइयों को तत्काल वापस लेने की मांग कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि पिछले कई वर्षों से सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे सभी संविदा शिक्षकों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने की भी मांग की जा रही है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने दीपावली तक इन दोनों मांगों को पूरा नहीं किया, तो शिक्षक संघ सरकार के खिलाफ ‘करो या मरो’ आंदोलन शुरू करेगा. विभाग ने लगातार 15 दिनों तक अनुपस्थित रहने वाले विद्यार्थियों को निष्कासित करने और निजी स्कूलों तथा कोटा जैसे दूर-दराज के स्थानों में पढ़ने वाले लड़कों और लड़कियों को चिह्नित करने जैसे कठोर कदम उठाने का भी आदेश दिया था, क्योंकि ये विद्यार्थी राज्य सरकार की ओर से पाठ्यपुस्तकों एवं पोशाक के लिए प्रदान की जा रही प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) योजना का लाभ लेने के लिए सरकारी स्कूलों में नाम लिखा लिया करते थे. बिहार में महागठबंधन सरकार की सहयोगी पार्टी भाकपा माले ने सरकारी स्कूलों से 21,90,020 (24 अक्टूबर, 2023 तक) छात्रों के नाम काटने के विभाग के फैसले का कड़ा विरोध किया है. भाकपा माले विधायक संदीप सौरव ने बृहस्पतिवार को विभाग के कदम को ‘तानाशाही’ वाला रवैया बताया और आदेश वापस लेने की मांग की थी. बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने भी उन छात्रों के नामांकन को तत्काल बहाल करने की मांग की, जिनके नाम काट दिए गए हैं.