Search
Close this search box.

शमशान घाट में जलती चिताओं के बीच पढ़ाने पहुंचे IPS

शमशान घाट में जलती चिताओं के बीच पढ़ाने पहुंचे IPS

बिहार (Bihar) के मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) में एक अनोखा स्कूल चलता है. जहां बच्चे जलती चिताओं के बीच पढ़ते हैं. श्मशान घाट के पास से गुजरते हुए जब आईपीएस अवधेश दीक्षित ने इन बच्चों को हाथ में कॉपी-किताब लिए देखा तो वो रुक गए. इसके बाद वो श्मशान घाट वाले स्कूल गए और खुद बच्चों को पढ़ाने लगे. जब आईपीएस ने बच्चों से पढ़ाते समय सवाल-जवाब किए तो बच्चों ने खूब तालियां भी बजाईं. इतना ही नहीं बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करने के लिए आईपीएस अवधेश दीक्षित ने उन्हें कॉपी और पेन भी दिए. बच्चों को पढ़ाने के बाद जब आईपीएस अवधेश दीक्षित जाने लगे तो बच्चों ने उनसे कहा कि पुलिस वाले अंकल फिर आइएगा. इसपर आईपीएस ने कहा कि हां मैं जरूर आऊंगा और आपको जरूर पढ़ाऊंगा.

बता दें कि लाशों के पीछे दौड़ने वाले बच्चों के बीच शिक्षा का अलख जगाने के लिए मुजफ्फरपुर में एक ऐसा स्कूल चलाया जाता है, जो जलती चिताओं के बीच श्मशान घाट की जमीन पर अप्पन पाठशाला के नाम से चलता है. जहां उन बच्चों को पढ़ाने आईपीएस और शहर के एएसपी अवधेश दीक्षित पहुंचे. जो बच्चो का क्लास लेने लगे और बच्चों से सवाल करते हुए बोर्ड पर उन्हें पढ़ाने लगे.

चिताओं के बीच स्कूल शुरू होने की कहानी

आपको बता दें कि श्मशान घाट के आसपास रहने वाले लोगों के बच्चे जब कोई अर्थी पहुंचती थी तो उसके ऊपर फेंके जाने वाले बतासे और पैसे उठाने के लिए उस अर्थी के पीछे भागते थे. इसे जब बेतिया के रहने वाले सुमित कुमार ने देखा तो वह मुजफ्फरपुर खुद पढ़ाने आए. इन बच्चों को पढ़ाने के लिए वे श्मशान घाट में बने मुक्तिधाम परिसर के अगल-बगल रहने वाले गरीब परिवार के बच्चों के अभिभावकों से मिले. उनसे कहा कि वह बच्चों को पढ़ाएंगे. जिसके बाद जिस मुक्तिधाम में चिताएं जलाई जाती हैं, उसी मुक्तिधाम परिसर में सुमित ने 6 साल पहले इस स्कूल की शुरुआत की.

श्मशान घाट वाले स्कूल ने बदली बच्चों की जिंदगी

जान लें कि अभी इस स्कूल में 150 बच्चे की पढ़ाई करते हैं. सुमित और उनके साथियों ने इन बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया है. यहां 6 साल से लगातार बच्चों की पढ़ाई कराई जा रही है. एएसपी अवधेश दीक्षित ने कहा कि उनकी शुरू से सोच रही है कि बच्चों को पढ़ाना है. जब वह मुक्तिधाम से गुजर रहे थे तो इन बच्चों के हाथ में किताब-कॉपी को देखा. उन्हें अच्छा लगा कि ये बच्चे भी इस चिता भूमि पर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं. उसके बाद इस शहर को संभालने के साथ-साथ वे गरीब बच्चों के बीच आकर उन्हें पढ़ाने का काम करने लगे.

pnews
Author: pnews

Leave a Comment