Search
Close this search box.

5 मर्डर केस में दोषी, आदिवासी बच्ची से रेप…इस सीरियल किलर की कहानी रूह कंपा देगी

5 मर्डर केस में दोषी, आदिवासी बच्ची से रेप…इस सीरियल किलर की कहानी रूह कंपा देगी

जरा सोचिए एक वहशी दरिंदा, जिसे आजीवन कारावास की सजा मिली हो, 5 मर्डर केस में दोषी हो, 17 साल से जेल में सजा काट रहा हो, उसने किताब लिखी हो. सुनकर शायद आप हैरान रह जाएं लेकिन यह सच है. मामला केरल का है, जहां एक सीरियल किलर को दो दिन की परोल मिली ताकि वह अपनी किताब के लॉन्च में शरीक हो सके.

ये कहानी किसी आम सीरियल किलर की नहीं है. ये कहानी ऐसे शख्स की है, जिसने एक तीन साल की आदिवासी बच्ची को उसके घर से अगवा किया. उसके साथ रेप करने के बाद उसके शव को स्कूल के पीछे जंगलों में दफना दिया.

लेकिन एक घटना ने उसको इस हद तक झकझोर कर रख दिया, जिसके बाद उसने जुर्म की दुनिया का दामन छोड़ खुद को बदलने का फैसला किया. इसमें बड़ा हाथ उसके परिवार और पुलिस अधिकारियों का भी है, जिन्होंने उसे जेल में सड़ने के लिए नहीं छोड़ा.

ये सीरियल किलर है जयानंदन, जो 17 साल से त्रिशूर की विय्यूर जेल में सजा काट रहा है. उसकी बाकी की जिंदगी भी जेल में ही कटनी है. उसकी किताब का नाम है Pulariviriyum Munpe, जिसका मतलब है बीफोर द डॉन.

किस घटना ने झकझोरा

शनिवार को जब वह बुक लॉन्च के लिए जेल से बाहर आया तो उसने उस घटना के बारे में बताया, जिसने उसे हमेशा के लिए बदल डाला.

TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, 56 साल के जयानंदन ने कहा, ‘एक दिन फांसी का इंतजार करते हुए मैं पुलिस जीप में कोट्टयम के एक गांव से जा रहा था. रास्ते में मैंने एक युवा अंधी महिला को देखा, जिसके कंधे पर एक मासूम बच्चा था और उस महिला ने अपने पिता का हाथ पकड़ा हुआ था. वे थके हुए थे. लेकिन उस दृश्य ने मुझे झकझोर कर रख दिया. वह बूढ़ा आदमी उस अंधी महिला की मदद कर रहा था. मैं जो मौत का इंतजार कर रहा था, उस दृश्य के बाद मेरे जहन में जिंदगी को लेकर कई विचार आए. इसके बाद ही मुझे नॉवेल Pulariviriyum Munpe लिखने की प्रेरणा मिली. मेरे मन में तो मरने के बाद उस अंधी महिला को आंखें दान करने तक का विचार आ गया था.’

इस नॉवेल में एक चिदंबरन नाम के शख्स की कहानी है, जो कन्नूर सेंट्रल जेल में मौत का इंतजार कर रहा है. नॉवेल को रिटायर्ड जस्टिस नारायणा कुरुप ने जयानंदन की मौजूदगी में लॉन्च किया. हाल ही में जयानंदन को केरल हाईकोर्ट ने समारोह में शामिल होने के लिए परोल दी थी. उसकी 26 साल की बेटी कीर्ति ने वकालत की हुई है. उसी ने अपने पिता की परोल की याचिका के लिए कोर्ट के सामने जिरह की.

गुनाहों की लंबी फेहरिस्त

जब जयानंदन 38 बरस का था, तब उसको कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. अलीबाग के स्पेशल सेशन्स कोर्ट ने 6 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए रेप, मर्डर, घर में घुसने और तीन साल की आदिवासी लड़की को अगवा करने के आरोप में सजा दी थी.

आरोपी जयानंदन ने उस वक्त मालेघर वाड़ी से लड़की को अगवा किया, जब उसके मां-बाप घर में सो रहे थे. वह उसे अपने घर ले गया, जहां उसने उसका रेप किया और मारकर जंगल में उसका शव छिपा दिया. कोर्ट ने उसे चार मामलों में दोषी पाया, जिसमें दो सेक्शन पॉक्सो एक्ट के थे.

pnews
Author: pnews

Leave a Comment