कौन है नेत्रहीन मुस्लिम शायर अकबर जिसको रामभद्राचार्य ने दिया रामलला दरबार का न्योता
भगवान श्रीराम के चरित्र से प्रेरित मध्यप्रदेश के नेत्रहीन मुस्लिम शायर अकबर ताज को जगद्गुरु संत रामभद्राचार्य ने 14 जनवरी को अयोध्या में होने वाले विशेष आयोजन के लिए आमंत्रित किया है. पिछले कुछ में अकबर को सोशल मीडिया पर लोगों का खूब प्यार मिल रहा है. अकबर कहते हैं कि राम हम सभी भारतवासियों के हैं. अकबर की इन पंक्तियों को सोशल मीडिया पर जमकर शेयर किया गया. “बनारस की सुबह वाले अवध की शाम वाले हैं, हम ही सुजलाम वाले हैं, हम सुफलाम वाले हैं, वजू करते हैं पांचों वक्त हम गंगा के पानी से, तुम्हारे ही नहीं श्रीराम, हम भी राम वाले है”.
22 जनवरी को राम मंदिर में हो रही रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर अध्योध्या में तैयारियों जोरों पर चल रही है. भव्य आयोजन के लिए बड़े स्तर पर तैयारियां की जा रही हैं. इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ देश के कई बड़े नेता और राम मंदिर संघर्ष से जुड़े रहे संतों को बुलाया जा रहा है. अयोध्या में भव्य राम मंदिर उत्सव के दौरान मनाए जा रहे कार्यक्रमों में खंडवा के एक नेत्रहीन मुस्लिम शायर को भी निमंत्रण आया है.
यह निमंत्रण आचार्य रामभद्राचार्य जी की ओर से आया है. राम मंदिर निर्माण उत्सव के दौरान रामानंद मिशन की ओर से अयोध्या में 1008 कुंडीय अमृत महोत्सव यज्ञ मनाया जा रहा है. इस महोत्सव में 14 जनवरी को सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां भी होंगी. इसी कार्यक्रम में खंडवा के छोटे से गांव हापला के रहने वाले शायर अकबर ताज मंसूरी को भी बुलाया गया है.
भगवान राम पर बढ़ते हैं कविताएं
अकबर ताज मंसूरी नेत्रहीन है. गरीबी में जीवन यापन हुआ है इसी वजह से स्कूल की पढ़ाई लिखाई नहीं हुई, लेकिन अपनी कविताओं और शायरी के दम पर पूरे देश में सम्मान से बुलाए जाते हैं. अपनी कविताओं में वह भगवान राम के जीवन आदर्श पर भी कविताएं पढ़ते हैं. यही वजह है कि उनकी कुछ कविताएं आचार्य रामभद्राचार्य जी को भी अच्छी लगी. इसलिए आचार्य जी ने उन्हें निमंत्रण पत्र भेजा है.
16 जनवरी से शुरू होंगे कार्यक्रम
रोड़ों रामभक्त 22 जनवरी की तारीख का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. ये वह पवित्र दिन होगा जब जन जन के आराध्य श्री राम अपने मंदिर में विराजमान होंगे. पूरे देश में राम नाम की गूंज हैं. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या में तैयारियां तेज हैं. गर्भगृह से लेकर मंदिर परिसर तक सभी व्यवस्थाएं बनाई जा रही हैं. अयोध्या में 16 जनवरी से पूजन विधियां शुरू हो जाएंगे. इसके बाद अयोध्या में नगर भ्रमण होना है. इस पूरी प्रक्रिया में भी काशी के विद्धानों की बड़ी भूमिका रहेगी. पूजा पद्धति को लेकर विद्धान आचार्यों की भूमिका भी तय कर ली गई है.