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मिश्रा बंधु समेत 7 आरोपी दोषी करार

मिश्रा बंधु समेत 7 आरोपी दोषी करार

 

आरोप पत्र समर्पित किया था.

तीन चिकित्सक की हुई गवाही
इस कांड के ट्रायल में शहर के तीन नामी चिकित्सकों की गवाही अभियोजन ने कराई. जिला अभियोजन पदाधिकारी सह अपर लोक अभियोजक माणिक कुमार सिंह ने बताया कि डॉक्टर कृपा शंकर चौबे की अध्यक्षता में एक तीन सदस्य मेडिकल टीम का गठन पोस्टमार्टम कराने के लिए किया गया था. जिस टीम ने पोस्टमार्टम किया था उस टीम का नेतृत्व करने वाले डॉक्टर कृपा शंकर चौबे का इस कांड में साक्ष्य परीक्षण कराया गया.

इस कांड में दो सेशन ट्रायल चला जिसमें मुख्य साजिश कर्ता और अभियुक्त ब्रजेश मिश्रा के मामले में चले सेशन ट्रायल संख्या 402/18 में गवाही से पूर्व ही मुख्य गवाह और इस कांड के चश्मदीद कमल किशोर मिश्रा की हत्या दिनांक 28/9/2018 को कर दी गई थी. बाद में जिला अभियोजन पदाधिकारी माणिक कुमार सिंह द्वारा सेशन ट्रायल संख्या 390/2016 में कमल किशोर मिश्रा की गवाही और प्रति परीक्षण को उनकी हत्या के उपरांत प्रदर्श के रूप में अंकित कराया गया जिसे जिसे न्यायालय ने बहस के दौरान साक्ष्य परीक्षण के तौर पर स्वीकार कर लिया जिसके आधार पर आज यह फैसला सुनाया गया.

मुख्य गवाह हत्याकांड में मिश्रा बंधुओं को हुई है आजीवन कारावास
जिला अभियोजन पदाधिकारी सह अपर लोक अभियोजक माणिक कुमार सिंह ने बताया कि कि मुख्य गवाह कमल किशोर मिश्रा की हत्याकांड में मिश्रा बंधु (ब्रजेश मिश्रा और उनके एक अन्य भाई) उनके सहयोगी दोषी पाए गए थे. एडीजे -2 अखिलेश सिंह की अदालत द्वारा पिछले महीने ही सभी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है.
दोनों सेशन ट्रायल के मामले में सजा के बिंदु पर संयुक्त सुनवाई अगली तारीख को निर्धारित की गई है.

कौन आरोपी कहां था आज?
ब्रजेश मिश्रा बक्सर, हरेश मिश्रा एवं बसंत मिश्रा भागलपुर से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए आज इस सुनवाई में शामिल हुए जबकि आरा मंडल कारा में बंद टुनी मिश्रा और उमाकांत मिश्रा आरा मंडल कारा से न्यायालय लाए गए. इस कांड में आठ अन्य अभियुक्त बेल पर थे जिन्होंने आज न्यायालय में सरेंडर किया.
सजा से खुश दिखे परिजन
विशेश्वर ओझा के पुत्र राकेश विशेश्वर ओझा ने फैसले पर मिश्रित प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने आज अदालत के फैसले को न्याय की जीत बताया साथ ही कहा कि जांच यदि प्रभावित नहीं की गई होती तो कई अन्य नाम सामने आते. उन्होंने कहा कि राजद नेता शिवानंद तिवारी और उनके विधायक पुत्र राहुल तिवारी को तत्कालीन सरकार में शामिल राजद सुप्रीमो के दबाव में पुलिस ने बचाया. मुकदमे की जांच को प्रभावित करने के लिए तत्कालीन एसपी एनसी झा का हुआ था तबादला, राकेश विशेश्वर ओझा ने आरोप लगाया.

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Author: pnews

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