जंगल बचाने वियतनाम से बांधवगढ़ आए विदेशी
मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ नेशनल पार्क में वियतनाम के 45 वर्ल्ड वाइल्ड फंड फॉर नेचर के अधिकारियों का दल पहुंचा. वियतनाम से पहुंचे अधिकारियों ने जंगल के जानवरों की सुरक्षा और व्यवस्था की जानकारी ली. साथ ही जंगल में सैर भी की. वियतनाम जंगल और वन्य जीवों के विलुप्ति होने का कगार पर आ चुका है. इसलिए वह भारत के पर्यावरण संरक्षण और वन्य जीव प्रबंधन को सीखने आए हैं.
आध्यात्मिकता और अपनी संस्कृति से भारत ने पूरी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. अब भारत जैव विविधता, पर्यावरण संरक्षण और वन्य जीव प्रबंधन में विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है. दक्षिण पूर्व एशिया स्थित वियतनाम देश से 45 अधिकारियों का दल एमपी के टाइगर रिजर्व बांधवगढ़ पहुंचा है. वियतनाम दल के सदस्यों ने तेजी से बढ़ती बाघों की संख्या, जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण में भारत द्वारा अपनाई राजनीति का अध्ययन किया. वनों और वन्य जीवों से विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुके वियतनाम देश भारत की अपनाई रणनीति को अपनाकर अपने देश को हरा भरा बनाना चाहते हैं.
वनों से विलुप्त हुए वन्य जीवों की पुनर्स्थापना, वनों के संरक्षित के प्रबंधन और बाघों की तेजी से बढ़ती आबादी को लेकर भारत की कुशलता पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बनी हुई है. इसी को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वाधान में भारत और वियतनाम के बीच संयुक्त समझौते के तहत वियतनाम के वन कृषि एवं अन्य कई विभागों के अधिकारियों का दल बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व अध्ययन करने पहुंचे. उन्होंने गौर पुनर्स्थापना बारहसिंगा पुनर्स्थापना, बाघों के लिए बनाए गए विशेष इनक्लोजर और जंगली हाथियों के प्रबंधन का भौतिक निरीक्षण किया. बांधवगढ़ के अधिकारियों के साथ मीटिंग कर सरंक्षण और प्रबंधन का ज्ञान अर्जित किया.
“भारत से बहुत कुछ सीखने को मिला”
वियतनाम के अधिकारियों के हेड निक कॉक्स ने बताया कि वियतनाम और बांधवगढ़ का पर्यावरण एक जैसा है. उन्हें यहां से बहुत कुछ सिखने और जानने को मिला है. वियतनाम में वे उसे लागू कर वहां के जंगलों को वन्य जीवों के भरपूर बनाएंगे. बांधवगढ़ की खूबसूरती ने वियतनाम से आए अधिकारियों का मन मोह लिया तो उन्हें प्रकृति और पर्यावरण के सरंक्षण संवर्धन का ज्ञान भी प्रदान किया.