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साहित्य सम्राट के जीवनी से बच्चे हुए रुबरु

साहित्य सम्राट के जीवनी से बच्चे हुए रुबरु

 

प्रखंड अंतर्गत नवसृजित प्राथमिक विद्यालय चकचनरपत में साहित्य सम्राट ‘मुंशी प्रेमचंद ‘की जयंती मनाई गई। प्रेमचंद की जीवनी पर चर्चा करते हुए सहायक सह फोकल शिक्षक मो फैयाज अहमद ने बच्चों को बताया कि इनका जन्म 31 जुलाई 1880 में उत्तर प्रदेश के लमही गांव में हुआ था। इनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। ये हिंदी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार और विचारक थे। निहायत गरीबी में इनकी जिंदगी गुजरी थी। गरीबी का आलम यह था कि अपना कोट और किताबें बेचने तक कि नौबत आ गई थी। बेहद सरल और मृदुभाषी स्वभाव के थे। मात्र तेरह वर्ष की उम्र से ही उपन्यास लिखना शुरु कर दिया था,जो आगे चलकर काफ़ी प्रसिद्ध हुई। इनकी लेखनी में गोदान, पूस की रात, मंत्र, ईदगाह, गबन, कफन, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, नमक का दारोगा आदि बहुत ज्यादा मशहूर हुईं। बच्चों को मुखातिब करते हुए श्री अहमद ने कहा कि इनसे प्रेरणा लेकर हम सबको भी अच्छा नागरिक और बेहतर साहित्यकार बनने की लालसा रखनी चाहिए। अन्य वक्ताओं में सुरेश कुमार प्रधानाध्यापक, कु वंदना आदि ने भी इनके जीवन के अन्य पहलुओं पर प्रकाश डाला। अंत में फूल माला अर्पित कर श्रद्धासुमन अर्पित की गई। मौक़े पर मनोहर कुमार, विकास पासवान, कृष्ण कुमार पंडित, शिवानी कुमारी तथा सभी बच्चे मौजूद थे।

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Author: pnews

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