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भारत में डेंगू का प्रकोप बहुत बढ़ गया है

भारत में डेंगू का प्रकोप बहुत बढ़ गया है

 

 

भारत के शहरों में डेंगू के मामलों में उछाल के साथ ही इस साल दुनिया भर में रिकॉर्ड संख्या में डेंगू के मामले सामने आए हैं. इसमें ब्राजील और अन्य दक्षिण अमेरिकी देश सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं.। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के डेटा से पता चलता है कि डेंगू के मामलों की संख्या साल-दर-साल लगातार बढ़ रही है. आइए, इस खतरनाक बीमारी के बारे में जानते हैं कि यह कैसे फैलता है. साथ ही डेंगू के मामलों में उछाल की स्थिति क्या है और इसकी रोकथाम के लिए कोई कैसे कदम उठा सकता है.

डेंगू एक वायरल संक्रमण है जो एडीज़ एजिप्टी मच्छर द्वारा फैलता है. संक्रमण वाले ज़्यादातर लोगों में हल्के लक्षण दिखते हैं, लेकिन यह बीमारी बुखार, तेज़ सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, मतली और उल्टी, आँखों के पीछे दर्द और चकत्ते पैदा करती है. हालांकि, गंभीर मामलों में संक्रमण से अंदरूनी ब्लीडिंग हो सकती है और अगर समय पर ठीक से इलाज नहीं किया गया, तो मौत भी हो सकती है.

 

वेक्टर बोर्न डिजीज ग्रुप की डॉ. सुजाता सुनील ने कहा, “अगर आप दिल्ली को देखें, तो हम बीच-बीच में गर्म मौसम के साथ बारिश का अनुभव कर रहे हैं, जो मच्छरों के पनपने के लिए सबसे अच्छी स्थिति है.”

 

जलवायु परिवर्तन: तापमान में वृद्धि मच्छरों को उन जगहों पर प्रजनन करने की इजाजत देती है जहां वे पहले प्रजनन नहीं कर सकते थे. उदाहरण के लिए अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में. डॉक्टर सुजाता सुनील ने कहा, “ग्लोबल वार्मिंग ने निश्चित रूप से उन भौगोलिक क्षेत्रों में वेक्टर के प्रसार में वृद्धि की है जहां यह पहले नहीं पाया जा सकता था.” इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन के कारण वायरस अधिक शक्तिशाली हो गया है और बेहतर तरीके से संचारित हो रहा है.

डेंगू के मौजूदा प्रकोप पर, यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने कहा, “उच्च तापमान डेंगू फैलाने वाले मच्छरों की सीमा का विस्तार कर सकता है, साथ ही मच्छर में तेजी से वायरल होने, वेक्टर के जीवित रहने में वृद्धि और प्रजनन और काटने की दरों में परिवर्तन जैसे वायरस के संचरण को सुविधाजनक बनाने वाले अन्य कारकों को भी प्रभावित कर सकता है.”

 

लोगों की आवाजाही: लोगों और सामानों की वैश्विक आवाजाही ने, सामान्य रूप से संक्रमण के अधिक प्रसार को बढ़ावा दिया है जो ये लोग अपने साथ ले जाते हैं. हालांकि, बेहतर परीक्षण और रिपोर्टिंग भी मामलों की “वृद्धि” में योगदान दे सकती है. डेंगू के अलावा, एक ही वेक्टर द्वारा प्रसारित होने वाले चिकनगुनिया और जीका जैसे अन्य संक्रमण भी बढ़ रहे हैं. जीका पहली बार भारत में 2016 में रिपोर्ट किया गया था, लेकिन उसके बाद से कई प्रकोप हुए हैं.

 

डॉक्टर सुनील ने कहा, “इस बात का अध्ययन करने की जरूरत है कि क्या इनमें से किसी एक संक्रमण से मच्छरों की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और वे अन्य दो संक्रमणों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं. अगर ऐसा होता है, तो तीनों संक्रमणों के संचरण में वृद्धि हो सकती है.”

 

डेंगू के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए सबसे पहले, लोगों को यह सुनिश्चित करना होगा कि मच्छर उनके घरों या उनके पड़ोस में न पनपें. गमलों और पक्षियों के नहाने की जगह वगैरह में पानी के जमाव को रोकने की जरूरत है. दूसरा, लोगों को मच्छरों के काटने से खुद को बचाने की आवश्यकता है. एडीज एजिप्टी मच्छर दिन में काटते हैं. इसलिए, विशेष रूप से मानसून के दौरान पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनने से मच्छर काटने से बचा जा सकता है.

तीसरा, सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों को निगरानी और प्रकोप की भविष्यवाणी पर ध्यान केंद्रित करना होगा. आखिरकार यही डेंगू के बढ़ते मामलों की संख्या और इसके चलते संक्रमण के कारण होने वाली मौतों को कम करने में मदद करेगा

 

क्या डेंगू के खिलाफ कोई टीका है?

हां, डेंगू के खिलाफ टीका उपलब्ध है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने डेंगू के लिए दो टीकों सैनोफी का डेंगवैक्सिया और टेकेडा का क्यूडेंगा की सिफारिश की है. हालांकि, इन्हें भारत में मंजूरी नहीं मिली है. भारत अपने स्वयं के कई टीकों पर भी काम कर रहा है. इनमें से कुछ पर विदेशी संस्थानों के सहयोग से काम चल रहा है. इनमें सबसे उन्नत चरणों में दो टीके हैं. इनमें एक है सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का वैक्सीन, जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज से आनुवंशिक रूप से इंजीनियर कमजोर वायरस का उपयोग करके विकसित किया गया है. उसी वायरस का इस्तेमाल करके एक और उम्मीदवार पैनेसिया बायोटेक द्वारा विकसित किया जा रहा है.

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Author: pnews

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