दीदी दिव्यांशीजी ने मेघनाथ वध, रावण वध और राम के राज्य अभिषेक का प्रसंग सुनाया
रामायण सत्संग समिति बंगरहट्टा सिंघिया समस्तीपुर ब्रह्मदेव मंदिर परिसर में चल रही संगीतमय श्रीराम कथा में आज विश्राम दिवस में दीदी दिव्यांशीजी ने मेघनाथ वध, रावण वध और राम के राज्य अभिषेक का प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि जीवन में अगर हम भी अपने हृदय भवन में सीता सहित राम को धारण कर लेवें, तो हमारा जीवन सफल हो जाए, जो राम जी का कृपा पात्र बन जाता है उस पर सारा जगत कृपा बरसाता है। उन्हाेंने कहा कि संसार में बुराई चाहे कितनी भी बड़ी क्यों ना हो जाए वह अच्छाई के सामने कभी टिक नहीं सकती।
अच्छाई और सच्चाई की सदा ही विजय होती है। पापियों के पाप का घड़ा आखिर भरता ही है। उसके पाप ही उस व्यक्ति के अंत का कारण बन जाते है। भगवान पापियों का विनाश करते ही है। इसलिए व्यक्ति को सदा ही सन्मार्ग पर ही चलना चाहिए। दिव्यांशीजी ने कहा की मानव जीवन पाया है तो मानव जीवन को साकार करने का एक मात्र सहारा राम का नाम ही है। रामचरित मानस भव्य अलौकिक और मानव जीवन उद्धार के लिए ही है। उन्होंने कहा की राम के नाम का स्मरण करते रहना जीवन को सन्मार्ग पर ले जाता है।
श्री राम कथा में राम की महिमा को गया कथा विश्राम में उन्होंने राम का राज्य अभिषेक के साथ राम की महिमा को गाया। जिसे सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। इस अवसर पर व्यास दीदी दिव्यांशीजी ने सभी भक्तों से कहा कि गोमाता की सेवा माता-पिता की सेवा मस्तक पर तिलक लगाना। गुरुजनों ब्राह्मण जनों का सम्मान करना। सदैव राम का कृष्ण का ध्यान करने का संकल्प सभी से कराया।विदाई गीत के साथ भावुक हो गए पलों में सभी ने अश्रुपूरित नेत्रों से दीदीजी को विदाई दी,छोटी सी उम्र में ही इतनी ख्याति प्राप्त करने वाली दिव्यांशीजी को अभूतपूर्व स्नेह मिला बंगरहट्टा कि जनता से।