Search
Close this search box.

भारत में एचएमपीवी वायरस के कुल 10 केस सामने आ चुके हैं,

भारत में एचएमपीवी वायरस के कुल 10 केस सामने आ चुके हैं,

 

भारत में एचएमपीवी वायरस के कुल 10 केस सामने आ चुके हैं, जिसमें 2 बेंगलुरु, 1 गुजरात, 2 चेन्नई, 3 कोलकाता और 2 नागपुर में संक्रमण की पुष्टि हुई है. ऐसे में आपको भी थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत है. डॉ. मयंक सक्सेना (Dr. Mayank Saxena), एडिशनल डायरेक्टर, इंटरनल मेडिसिन, फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा ने इस बीमारी से बचने के उपायों पर जोर दिया है.

 

सर्दियों का मौसम वायरल इंफेक्शन के लिए एक अच्छा ब्रीडिंग ग्राउंड तैयार करता है क्योंकि हवा की गति कम हो जाती है और लोगों में करीबी जगहों पर रहने की प्रवृत्ति होती है, जिससे कोई भी रिस्पिरेटरी इंफेक्शन नॉर्मल से ज्यादा तेजी से फैलता है. भारत में हम बच्चों में सामान्य इन्फ्लूएंजा संक्रमण के साथ-साथ RSV संक्रमण में भी इजाफा देखते हैं और हालांकि इतनी आम बात नहीं है, लेकिन हम मल्टीप्लेक्स पीसीआर पर पाए जाने वाले ह्यूमन मेटाप्न्युमोवायरल संक्रमण का भी सामना करते हैं जो ज्यादातर आकस्मिक होता है. इसलिए मौजूदा को देखते हुए ये सभी वायरल संक्रमण सेल्फ लिमिटिंग इंफेक्शन पैदा करते हैं और अभी इसके लिए कोई स्पेशल ट्रीटमेंट निर्धारित नहीं है यानी इसके लिए खास तौर से डिजाइन की गई कोई एंटीवायरल दवा नहीं है, तो क्या इससे चिंता होती है कि हमें एक ऐसे संक्रमण मिला है जिसके खिलाफ कोई एंटीवायरल नहीं है? आइए इनमें से कुछ सवालों के जवाब दें.

 

वायरस के बारे में जरूरी बातें

1. लक्षण
इसके लक्षण कॉमन कोल्ड की तरह हो सकते हैं, जैसे खांसी, नाक बहना, गले में खराश और बुखार, शरीर में दर्द के साथ या इसके बिना. मरीज को ये लक्षण 3-4 दिनों तक महसूस हो सकते हैं और फिर ये लक्षण धीरे-धीरे अपने आप कम हो जाएंगे और किसी भी वायरल संक्रमण की तरह रोगी 5-6 दिनों में पूरी तरह से ठीक हो जाएगा.

शायद ही कभी ये निमोनिया या डीप लंग इंफेक्शन या गंभीर संक्रमण का कारण बनेगा जिसके लिए अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत होती है. इसके अलावा इसके रोगी विशेष रूप से वे हैं जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है, स्टेरॉयड, कैंसर के इलाज, बुजुर्ग, सांस और हाई लेवल डायबिटीज पर हैं. शायद ही कभी बच्चों में भी गंभीर लक्षण हो सकते हैं लेकिन फिर भी ये लक्षण आम तौर पर सेल्फ लिमिटिंग ही होते हैं.

2. डायग्नोसिस

डीएनए मल्टीप्लेक्स पीसीआर इस वायरस के लिए डायग्नोस्टिक रिजल्ट देता है लेकिन ये श्वसन लक्षणों वाले सभी रोगियों में बिल्कुल भी रेकोमेंडेड नहीं है, टेस्ट सिर्फ गंभीर लक्षणों वाले रोगियों के लिए सही हैं और ये परीक्षण न सिर्फ मेटाप्न्युमोवायरस बल्कि अधिकांश सामान्य वायरल और फ्लू संक्रमणों को भी कवर करेंगे. बहुत महंगा होने और कोई अतिरिक्त लाभ नहीं देने के कारण क्योंकि उपचार के विकल्प अभी भी सीमित हैं इसलिए जब तक आपके डॉक्टर द्वारा निर्धारित नहीं किया जाता है तब तक इन परीक्षणों को खुद करवाना जरूरी नहीं है. हालांकि पिछली कोविड एक्सपीरिएंस को देखते हुए अगर आपके लक्षण तेजी से बढ़ रहे हैं और निमोनिया जो इलाज के लिए अच्छी तरह से प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है, तो अपने डॉक्टर को रिपोर्ट करना हमेशा फायदेमंद होगा, वहां डॉक्टर वायरल मल्टीप्लेक्स पीसीआर सैंपल भेज सकते हैं जो न सिर्फ मेटाप्न्युमो वायरस बल्कि अन्य वायरस का भी पता लगाएगा. भारत में आने वाले के मामलों को देखते हुए यह कहना अभी भी मुश्किल है कि ये लोकल मेटाप्न्युमोवायरल स्ट्रेन हैं या चाइनीज स्ट्रेन क्योंकि कुछ पेशेंट की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है. हम डॉक्टर और क्लीनिक ICMR/भारतीय सरकार के निर्देशों का परीक्षण में पालन करते हैं क्योंकि आम जनता में इसके परीक्षण पर कोई प्रोटोकॉल अपडेट नहीं है.

3. इलाज
दूसरे वायरल इंफेक्शन की तरह इलाज पुराना और लक्षणों पर आधारित रहता है, HmPV के ट्रीटमेंट के लिए एंटीबायोटिक्स नहीं दिया जाता है, और ज्यादातर रोगियों को पर्याप्त आराम, हाइड्रेशन और अच्छी डाइट के साथ सिर्फ उनके लक्षणों में राहत की जरूरत होगी. हालांकि, हाई रिस्क वाले इलाको के मरीजों को उनके लक्षणों के लिए डॉक्टर से डिस्कस करने की सलाह दी जाती है ताकि लक्षणों की गंभीरता के लिए उनकी निगरानी की जा सके. फिर अगर जरूरत हो तो इलाज को आगे बढ़ाया जा सकता है. एंटीबायोटिक्स केवल तभी लिए जाते हैं जब डॉक्टर ने इस पर एक सेकेंडरी बैक्टीरियल इंफेक्शन को डायग्नोज किया हो.

4. प्रिवेंशन
किसी भी वायरल इंफेशन की तरह इसमें सेफ्टी के लिए सामाजिक दूरी बनाए रखना, मास्क का उपयोग करना और क्लोज गैदरिंग से बचने जरूरी है. अगर आपके पास रिस्क फैक्टर्स हैं तो N95 मास्क का इस्तेमाल करना और सह-रुग्णताओं जैसे डायबिटीज या रिस्पिरेटरी हेल्थ को नियंत्रित करने से लक्षण कंट्रोल किए जा सकते हैं. स्मोकिंग छोड़ें, शराब से तौबा करें और एक अच्छी लाइफस्टाइल को फॉलो करें. हॉटस्पॉल वाले एरियाज में ट्रैवल करने से बचें. अगर जरूरत न हो, तो इस वायरस से बीमार लोगों के करीब न जाएं. सीजनल फ्रूट और वेजिटेबल खाएं, ताकि इम्यूनिटी मजबूत हो जाए. अगर पहले से ये बीमारी है तो डॉक्टर की सलाह पर दवाइयां खाते रहें.

5. क्या हमें डरने की जरूत है?
डॉक्टर मयंक सक्सेना के मुताबिक हमें घबराने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि ये सर्दियों के मौसम में फैलने वाले एक और वायरल संक्रमण की तरह है. फिर भी जब भी आपको कोई वायरल इंफेक्शन के लक्षण और इशारे दिखाई दें तो खुद इलाज न करें बल्कि डॉक्टर से सलाह लें ताकि सही डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट किया जा सके.

pnews
Author: pnews

Leave a Comment