Search
Close this search box.

18 दिन बाद गाजा में क्यों नहीं घुस पा रहा इजरायल, इसके पीछे छिपे हैं ये 5 ‘राज’?

18 दिन बाद गाजा में क्यों नहीं घुस पा रहा इजरायल, इसके पीछे छिपे हैं ये 5 ‘राज’?

सात अक्टूबर को फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास ने इजरायल पर हमला किया था. हमास के आतंकी हमले के जवाब में इजरायल की सेना लगातार कार्रवाई भी कर रही है. पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ मुलाकात में खास बात भी कही थी. उन्होंने कहा कि यह जंग हमास के खात्मे तक जारी रहेगी. इजरायल के ताबड़तोड़ हमले को लेकर दुनिया भर से अलग अलग तरह की प्रतिक्रिया भी आई. अमेरिका समेत यूरोप के देशों ने जहां इजरायली हमले को जायज बताया. वहीं इस्लामिक देशों का कहना है कि आम फिलिस्तीनी लोगों का क्या कसूर है. इन सबके बीच अहम सवाल यह है कि इजरायल, गाजा पट्टी की जमीन पर क्यों नहीं दाखिल हो पा रहा है. आखिर वो कौन सी मजबूरी है जिसकी वजह से इजरायल संयम बरते हुआ है. क्या उसके लिए गाजा में दाखिल होना व्यवहारिक नहीं है या वजह कुछ और है, इन सब सवालों के जवाब को तलाशने की कोशिश करेंगे.

सात अक्टूबर से लेकर 25 अक्टूबर की तारीख तक इजरायल ने हवाई हमलों की जगह हमास के ठिकानों को निशाना बनाया है, इजरायली हमले में हमास के आतंकी ठिकाने तबाह भी हुए हैं हालांकि इस तरह के आरोप भी लगें है कि इजरायल अपनी जिद में आम फिलिस्तीनियों को निशाना बना रहा है. विदेशी मीडिया के मुताबिक अब तक तीन हजार से अधिर बेगुनाह फिलिस्तीनी नागरिकों की मौत भी हो चुकी है. क्या गाजा पट्टी में इजरायल, अमेरिका की चुप्पी की वजह से दाखिल नहीं हो पा रहा है.
अमेरिका ने फिलहाल किया मना !

एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी फौज भी इजरायल की धरती पर गाजा से लगे इलाकों में हैं. अमेरिका को लगता है कि गाजा पट्टी पर इजरायली कार्रवाई का मतलब यह होगा कि हमास भी जवाबी कार्रवाई करेगा. हमास के आतंकी रॉकेट के जरिए अमेरिकी फौज को निशाना बना सकते हैं. लिहाजा इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए पहले मिसाइल डिफेंस सिस्टम को मजबूत करना होगा. एक बार मिसाइल डिफेंस सिस्टम के मजबूत हो जाने के बाद ही गाजा पट्टी में इजरायली सैनिकों को जमीनी कार्रवाई करनी चाहिए.

गुरिल्ला लड़ाई का खतरा

यह एक वजह तो अमेरिका से जुड़ी हुई है. दूसरी वजह के बारे में यह कहा जा रहा है कि गाजा पट्टी में टनल की संख्या अधिक है. हमास के आतंकियों ने उन सुरंगों में शरण ले रखी है. अगर इजरायली सैनिक गाजा के इलाके में दाखिल होते हैं तो उन्हें गुरिल्ला वारफेयर का सामना करना पड़ सकता है. इस तरह की सूरत में इजरायल को और पुख्ता व्यवस्था करनी होगी ताकि हमास की तरफ से जवाबी कार्रवाई में नुकसान कम से कम हो.

हिज्बुल्लाह का खतरा

अमेरिका और गाजा में टनल की संख्या के बीच तीसरी बड़ी वजह लेबनान की तरफ से है. हाल ही में भारत में लेबनान के राजदूत डॉ रबी नर्श ने कहा कि दरअसल कूटनीति और जंग के बीच यह रेस है, इजरायल को यह समझना होगा कि अरब देशों के लोग उसे किस रूप में लेते हैं. उन्होंने लेबनान के आतंकी संगठन हिज्बुल्लाह के बारे में सीधे तौर पर टिप्पणी नहीं की. लेकिन हिज्बुल्लाह के इरादे साफ हैं. गाजा पट्टी में सीधे तौर पर दाखिल होने का अर्थ है कि हिज्बुल्लाह और आक्रामक हो सकता है. उस तरह की सूरत में इजरायल को हिजबुल्लाह के खिलाफ भी ताल ठोकना पड़ेगा.

इन तीनों वजहों के बाद जिस तरह से अमेरिका में इजरायली नागरिकों ने अपनी ही सरकार के खिलाफ विरोध किया वो भी एक बड़ी वजह है. दुश्मन मुल्क के खिलाफ लड़ाई करना अलग बात है लेकिन अगर अपने लोग ही खिलाफ होने लगेंगे तो घरेलू राजनीति में बेंजामिन नेतन्याहू को कई सवालों के जवाब देने होंगे. जानकार कहते हैं कि वैसे यह वजह गौड़ है क्योंकि इजरायल के सभी दलों का स्पष्ट मत रहा है कि अगर कोई तीसरा देश आंख दिखाता है तो उसके साथ कड़ाई से निपटना जरूरी है.

अंतरराष्ट्रीय रुख
अब एक और वजह जो चर्चा में है वो अंतरराष्ट्रीय दबाव और दूसरे अरब देशों के साथ रिश्ता भी है. अगर आप दूसरे अरब देशों के साथ इजरायल के रिश्तों को देखें तो विवाद के केंद्र में सिर्फ फिलिस्तीन है. बाकी के मुस्लिम देश इजरायल के खिलाफ बयानबाजी तो करते हैं लेकिन सीधे विवाद से बचते रहे हैं. जंग में जीत भले ही किसी भी देश की हो उसका खामियाजा लंबे समय तक भुगतना पड़ता है. आर्थिक तौर पर जंग से नुकसान होता है. इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए इजरायल भी चाहेगा कि विवाद का हल जल्द से जल्द निकले.

pnews
Author: pnews

Leave a Comment