8 साल पहले नाबालिग छात्रा के साथ हुए दुष्कर्म के मामले में पोक्सो अदालत सुनाया फैसला
राजस्थान के प्रतापगढ़ में 8 साल पहले एक नाबालिग छात्रा को बहला-फुसलाकर ले जाने और उसके साथ दुष्कर्म करने के मामले में आज पोक्सो अदालत ने फैसला सुनाया, जिसमें दुष्कर्मी को 10 साल कारावास और 23 हजार रुपये जुर्माने की सजा से दंडित करते हुए जेल भेजने के आदेश दिए.
इस मामले में विशिष्ट न्यायाधीश पोक्सो एक्ट प्रभात अग्रवाल ने महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसे अपराधियों के खिलाफ नरमी का रुख अपनाया जाता है, तो समाज में बालिकाएं असुरक्षित हो जाएगी और समाज की मुख्य धारा से अलग हो जाएगी.
विशिष्ट लोक अभियोजक पोक्सो एक्ट गोपाललाल टांक ने बताया कि 8 साल पहले 31 अगस्त 2015 को रठांजना थाना क्षेत्र के एक व्यक्ति ने प्रकरण दर्ज करवाया कि उसकी बेटी रक्षाबंधन पर उसके मामा के यहां पर गई थी. रक्षाबंधन के बाद वापसी में 30 अगस्त को उसके मामा ने लड़की को बस में बिठा दिया. लड़की 30 अगस्त को गांव नहीं पहुंची तो पिता ने तलाश शुरू की परिचितों से भी पूछताछ की लेकिन उसका कोई सुराग नहीं लगा.
इस पर लड़की की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई गई. इसी शाम को पता चला कि पीलू गांव का रहने वाला मनसब लड़की को अपने साथ कार में लेकर चला गया है. बाद में रठांजना थाना पुलिस ने 31 अगस्त को लड़की को चित्तौड़गढ़ से दस्तीयाब करते हुए मनसब मुसलमान को गिरफ्तार कर लिया था.
पीड़िता से पूछताछ में सामने आया कि मनसब उसे बरगलाकर पहले तो मंदसौर ले गया, बाद में वह ट्रेन से चित्तौड़ पहुंचे. चित्तौड़गढ़ में मनसब ने फर्जी पहचान पत्र तैयार कर होटल में एक कमरा लिया और वहां उसके साथ दुष्कर्म किया. पुलिस ने 31 अगस्त को चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन से मनसब को गिरफ्तार किया था और लड़की को दस्तियाब कर लिया था, तभी से यह मामला अदालत में विचाराधीन था.
इस दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत के समक्ष 18 गवाह और 52 दस्तावेज प्रस्तुत किए गए. आज सुनवाई पूरी होने पर अदालत ने मनसब को दोषी करार देते हुए अलग-अलग धाराओं में 10 साल कारावास और 23 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाते हुए जेल भेजने के आदेश दिए. न्यायाधीश प्रभात अग्रवाल ने इस मामले में विशेष टिप्पणी करते हुए लिखा कि ऐसे अपराधियों के मामलों में नरमी का रुख अपनाया जाता है, तो समाज में बालिकाएं असुरक्षित हो जाएगी.