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स्वयं को आत्मा के बजाय शरीर समझना हमारी सबसे बड़ी भूल

*स्वयं को आत्मा के बजाय शरीर समझना हमारी सबसे बड़ी भूल*

सिंघिया बाजार: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के द्वारा आयोजित स्वर्णिम भारत नवनिर्माण आध्यात्मिक प्रदर्शनी के दूसरे दिन बड़ी संख्या में लोग आते रहे।

सात दिवसीय राजयोग मेडिटेशन शिविर के प्रथम दिन रोसड़ा से आई ब्रह्माकुमारी कुंदन बहन ने कहा कि स्वयं के मूल गुणों से विपरीत जाकर कर्म करने से आज मानव दुःख-अशान्ति में जीवन व्यतीत कर रहा है। स्वयं को आत्मा समझने के बजाय शरीर समझना हमारी सबसे पहली और सबसे बड़ी भूल है। इसी भूल का नतीजा है कि काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार के वशीभूत होकर मनुष्य आत्मा अनेक कुकर्म करने लगी है। पारिवारिक मनमुटाव से लेकर वैश्विक स्तर पर चल रहे द्वंद्व का मूल कारण यही पांच विकार हैं। बड़े-बड़े कानून-कायदों के साथ-साथ जब तक हम स्वयं को आत्मिक गुणों यथा- ज्ञान, शान्ति, प्रेम, पवित्रता, सुख, आनंद और शक्ति से युक्त होकर चलने के कानून-कायदों में नहीं बांधेंगे, तब तक हम दुःख, अशान्ति, चिंता के दु:खदायी बंधन से छूट नहीं सकेंगे। इसके लिए स्वयं को मस्तक के बीचों-बीच सितारे की भांति आत्मा निश्चय करने का अभ्यास करना अति आवश्यक है।

100 से अधिक लोगों ने शिविर का लाभ लिया एवं प्रदर्शनी के दौरान सैकड़ों लोगों ने शिविर के लिए नामांकन भी कराया।

ज्ञात हो कि बाबा लक्ष्मीनाथ कुटीर में आयोजित यह प्रदर्शनी रविवार संध्या 6:00 बजे तक चलेगी। इसी स्थान पर सात दिवसीय नि:शुल्क शिविर दोपहर 2 से 3:30 बजे तक प्रतिदिन चलता रहेगा।

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Author: pnews

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