CM बनकर क्यों उज्जैन में नहीं रहेंगे मोहन यादव? चंद लोग ही जानते हैं महाकाल नगरी का नियम!
छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में जीत के बाद लगातार बीजेपी के फैसले चौंकाने वाले रहे हैं. तीनों राज्यों में बीजेपी ने नए चेहरों को मौका दिया है. विष्णुदेव साय, मोहन यादव और भजनलाल शर्मा को बतौर मुख्यमंत्री राज्यों की कमान सौंपी गई है. इन सबमें सबसे ज्यादा चर्चा मोहन यादव की हो रही है. मोहन यादव मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और उज्जैन से विधायक हैं.
मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद एक चर्चा ने जोर पकड़ लिया है. सीएम मोहन यादव अब उज्जैन में नहीं रहेंगे. ऐसा शोरगुल क्यों हो रहा है? ये भी जान लेते हैं. उज्जैन में एक प्राचीन मान्यता है कि यहां के राजा महाकाल हैं इसलिए भी इसे महाकाल की नगरी उज्जैन कहा जाता है. भगवान शिव यहां महाकाल रूप में विराजमान हैं जो शहर के मालिक हैं. यही वजह है कि उज्जैन में कोई दूसरा मुख्यमंत्री और वीवीआईपी (VVIP) रात में नहीं ठहरता है. लोगों का कहना है कि अगर कोई सीएम या राजा उज्जैन में रात के वक्त रुकता है तो उसके साथ अनहोनी हो जाती है. सिंधिया परिवार भी शहर से 15 किलोमीटर दूर घर में रहता है.
क्या मोहन यादव उज्जैन में रहेंगे?
इसी प्राचीन मान्यता को देखते हुए सवाल किया जा रहा है कि क्या सीएम मोहन यादव उज्जैन में रहेंगे या शहर से दूर कहीं और निवास स्थान बनवाएंगे? उज्जैन महाकाल मंदिर के पुजारियों का कहना है कि अगर मोहन यादव शहर में रहना चाहते हैं तो बेटा बनकर रह सकते हैं लेकिन सीएम बनकर नहीं. महाकाल मंदिर के मुख्य पुजारी के मुताबिक, महाकाल खुद उज्जैन के राजा हैं, इसलिए यहां दो राजा नहीं रह सकते हैं. इस सालों इस मान्यता का पालन किया जा रहा है.
प्राचीन कहानी क्या कहती है?
उज्जैन के बारे में एक और प्राचीन कहानी मशहूर है. ऐसी माना जाता है कि जब भी कोई उज्जैन का राजा या शासक बना, अगली सुबह उसकी मौत हो गई. इसी काट के लिए राजा विक्रमादित्य ने नई परंपरा इजाद की. इसके तहत उज्जैन के राजा को शहर से दूर रखा गया. ऐसी परंपरा बनाई गई कि वह महाकाल के अधीन रहकर काम करेगा. आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां रात के वक्त प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री कोई नहीं रुकता है. कहा जाता है कि जिसने भी रात में उज्जैन में कुर्सी डाली उसे सत्ता से बाहर जाना पड़ा.
मोरारजी देसाई का मशहूर किस्सा
स्थानीय लोगों का कहना है कि एक बार प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई महाकाल दर्शन के लिए आए थे, तब वो देश के चौथे प्रधानमंत्री थे. वो उज्जैन में रात के वक्त रुके थे और अगले ही दिन उनकी सरकार को सत्ता से बाहर होना पड़ा था. कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा को लेकर भी ऐसी चर्चा की जाती है कि उन्होंने रात में उज्जैन में डेरा डाला था. इसके 20 दिन बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.