*जहरीली शराब पीने से दो लोगों की मौत, तीन की हालत गंभीर, प्रशांत किशोर बोले-अगर जहरीली शराब से मौत पर केस करेंगे तो आपके ऊपर शराबबंदी कानून के तहत कार्रवाई हो जाएगी*
दरभंगा: बिहार में जहरीली शराब पीने से होने वाली मौत कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। दरभंगा के मकसूदपुर गांव में जहरीली शराब पीने के कारण सोमवार को दो लोगों की मौत हो गई है, जबकि तीन लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मौत के कारणों के बारे अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं हो पाया है। हालांकि, मौत के पीछे शराब पीने की बात सामने आ रही है। इस मामले को लेकर जब पत्रकारों ने बिहार में गांव-गांव घूम कर जन सुराज पदयात्रा कर रहे प्रशांत किशोर से सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि जहरीली शराब पीने से जो मृत्यु हो रही है, यह कोई नई बात नही है। इस पर मीडिया का भी ध्यान है और हंगामा भी हो रहा है। लेकिन, इक्का-दुक्का जहरीली शराब के पीने से मौत लगातर होती रही है। स्थानीय स्तर पर पुलिस और प्रशासन के द्वारा मामले को दबाया जाता है कि अगर आप जहरीली शराब से मौत पर केस करेंगे तो आपके ऊपर शराब बंदी कानून के तहत कार्रवाई हो जाएगी। इसी क्रम में जिनके साथ ये हो रहा है वो ज्यादातर गरीब परिवार के लोग होते हैं। इसलिए ज्यादातर परिवार अपने परिजनों की दुखद मृत्यु के बाद भी केस नहीं करते हैं।
*महिलाओं का वोट लेने के नाम पर किसी भी तरह के शराबबंदी से जुड़े फीडबैक या सूचना को इग्नोर किया जाता है: प्रशांत किशोर*
प्रशांत किशोर ने कहा कि जब मैं मई से सितंबर तक हर ज़िले में जा रहा था, तो हर जगह पत्रकारों ने मुझे बताया कि कोई ऐसा प्रखंड नहीं है जहां यह घटना ना होती हो, ये रोजाना की आम बात है, शराबबंदी बिहार में पूरी तरीके से फेल है। जब मैं गांव में लोगों से बात करता हूं तो वॉइस वोटिंग करा के हर आदमी से पूछता हूं कि शराबबंदी दिख रही है कि नहीं, तो हर व्यक्ति के द्वारा बताया जा रहा है कि हर गांव में शराब बिक रही है। इसके साथ ही सरकार के राजस्व का नुकसान हो रहा है, वो भी हजारों-करोड़ों रुपये का। पूरे राज्य में अलग से माफिया खड़े कर दिए हैं। युवाओं का बड़ा वर्ग पुलिसकर्मियों और प्रशासन के सहयोग से शराब का कारोबार कर रहा है। एक दूसरा वर्ग है जो अवैध तरीके से गलत शराब बनाने के काम में लगा हुआ है। नीतीश कुमार यह मानने को तैयार नहीं हैं कि शराबबंदी पूरे तरीके से फेल है, महिलाओं का वोट लेने के नाम पर किसी भी तरह का फीडबैक या सूचना को इग्नोर किया जाता है। जिसका ख़ामियाज़ा बिहार और बिहार की जनता भुगत रही है। मैं शराबबंदी के विरोध में हूं। पूरी दुनिया में कहीं इसका कोई प्रमाण नहीं है कि शराबबंदी को लागू किया गया हो और उससे समाज का फायदा हुआ हो।