खुद की बलि देना चाहता था भक्त, मां शारदा के सामने गर्दन पर रखा चाकू
त्रिकुट पर्वत पर विराजमान मां शारदा के दरबार की महिमा तो आपने सुनी होगी. यहां भक्तों की बड़ी भीड़ लगती है. भक्त अपनी मन्नतों के लिए यहां आते हैं और माता को कई तरह के चढ़ावे चढ़ाते हैं. आल्हा ऊदल की एक कहानी तो आपने सुनी होगी कि उन्होंने मां शारदा को शीश चढ़ा दिया था. आज भी कुछ ऐसा होते नजर आया जब एक भक्त ने माता को सिर अर्पण करने के लिए गर्दन पर चाकू चला लिया.
गला चढ़ाकर समर्पित करने का प्रयास
त्रिकुट पर्वत पर विराजमान मा शारदा के दरबार मे अपनी मानता मुरादों को लेकर लाखों भक्त आते हैं. मगर कुछ भक्त ऐसे मां की भक्ति में लीन होते हैं जो मां के चरणों में अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार रहते हैं. जीभ और गला चढ़ाकर मां को समर्पित करने का प्रयास करते हैं.
प्रयागराज का रहने वाला है भक्त
एक मामला आज मैहर के मां शारदा मंदिर से सामने आया जहा पर उत्तरप्रदेश के प्रयागराज से मां शारदा के दर्शन करने आये श्रद्धांलु लल्लाराम ने शाम की आरती के बाद हवन कुंड के पास अपने गले को चाकू से काट लिया और मां के चरणों मे सर को चढ़ाने का प्रयास किया.
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती
आसपास मौजूद श्रद्धांलु की मदद से पकड़ लिया गया. मगर चाकू से भक्त की हालत गंभीर हो गयी जिसके बाद पुलिस को सुचना दी गयी मौके पर पहुंची मैहर पुलिस की मदद से घायल भक्त को उपचार के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मैहर लाया जहा पर उसका उपचार जारी है.
आल्हा ऊदल ने चढ़ाया था शीश
आल्हा और उदल उन 2 भाईयों की कहानी है, जो परमार वंश के सामंत थे. उनके बारे में सबसे अहम जानकारी कालिंजर के राजा परमार के दरबार में कवि जगनिक द्वारा लिखे गए आल्हा खंड से मिलती है. इस काव्य रचना में दोनों भाइयों की 52 लड़ाइयों का रोमांचकारी वर्णन है. आल्हा खंड के अनुसार आखिरी लड़ाई उन्होंने पृथ्वीराज चौहान से लड़ी थी. उन्होंने मां शारदा को अपना शीश चढ़ाया.