श्रीराम, श्रीकृष्ण हमारे ऐतिहासिक महापुरूष, इतिहास को बदला नहीं जा सकता : आर्लेकर
बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने सोमवार को कहा कि श्रीराम, श्रीकृष्ण हमारे ऐतिहासिक महापुरूष हैं और इतिहास को बदला नहीं जा सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि यह तथ्य सामने आ रहा है कि आर्य बाहर से नहीं आए थे, बल्कि, यहीं के थे
राज्यपाल ने राजभवन में प्रभु श्रीराम के प्राण प्रतिष्ठा संबंधी विषय पर बिहार डाक परिमंडल के विशेष आवरण और विरुपण का अनावरण किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि सभी भारतवासियों की श्रीराम में आस्था है. सबको ऐसा लगता है कि श्रीराम हमारे हैं. यही हमारी एकता का तत्व है और यह जितना मजबूत होगा, हमारा भारत उतना ही श्रेष्ठ बनेगा.
राज्यपाल ने कहा कि वर्ष 1947 में भारत को आजादी मिलने से पूर्व भी भारत एक राष्ट्र था. जिस देश में विचारों की समानता होती है, उसे राष्ट्र कहते हैं. श्रीराम हजारों वर्षों से भारतीय जनमानस में छाए हुए हैं, वे भारतवासियों की आस्था का केन्द्र बिन्दु हैं. श्रीराम और श्रीकृष्ण हमारे ऐतिहासिक महापुरूष हैं. इतिहास को बदला नहीं जा सकता है. यह तथ्य सामने आ रहा है कि आर्य बाहर से नहीं आए थे, बल्कि यहीं के थे.
राज्यपाल ने कहा कि लगभग 500 वर्षों के संघर्ष के बाद श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा का ऐतिहासिक क्षण आया है. अपने ही देश के एक महापुरूष को उनके मंदिर में स्थापित करने के लिए इतना लंबा संघर्ष किया जाना शायद दुनिया में एक विरल उदाहरण है. उन्होंने प्रभु श्रीराम के प्राण प्रतिष्ठा संबंधी विषय पर विशेष आवरण व विरुपण के लिए बिहार डाक परिमंडल की प्रशंसा करते हुए कहा कि डाक विभाग ने भारत की आत्मा और आस्था को अधोरेखित करने का प्रयास किया है.
कार्यक्रम को बिहार डाक परिमंडल के चीफ पोस्टमास्टर जनरल अनिल कुमार ने भी संबोधित किया.