मध्यम वर्ग को भूल जाने वाला बजट : विद्या भूषण।
प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए , मिथिलावादी नेता विद्या भूषण राय ने कहा कि : आम बजट हो या अंतरिम बजट जनता की उम्मीदों से दूर होती हैं , आम जनता जिसे हम राजनीतिक भाषा मे समाज के अंतिम पंक्ति के लोग कहते हैं। खासे नाराज झुठलाए एवं थके हुए महसूस पड़ते हैं। देश आज एक नए विकल्प की तलाश ढूंढ रही हैं , लेकिन सत्ताधारी काबिज सत्ता के पोषक – शोषक ने आम जनता को भ्रम की जाल में फंसाकर देश की अमन चैन , सुख चैन छीन लेने वाली सरकार हैं। हालाँकि , सरकार वैकासिक हरेक मापदंड पर असफल हैं।
हम लोकसभा चुनाव में सत्ताधारी दल को एकमत – बहुमत बनाने में सहयोग किया हैं , परन्तु इसके बदले सरकार ने हमें पलायन बेरोजगारी अशिक्षा के द्वन्श में धकेल दिया हैं। वर्तमान सत्ता मिथिला विरोधी है , जिसे मिथिला में व्याप्त कुव्यवस्था गरीबी कुपोषण भुखमरी अविकसित उद्योग धंधों से कोई मतलब नही है। सरकारें सत्ता बचाने एवं हस्तांतरण में व्यस्त है। दरभंगा एम्स केंद्र सरकार और राज्य सरकार की राजनीतिक खींचतान की वजह से नहीं हो पा रहा है।
मिथिला राज्य ही एक मात्र विकल्प । मिथिला में केंद्र सरकार के सभी योजनाओं को यहाँ के सांसद के अकर्मण्यता के कारण लटकी – अटकी हैं। यह उनके कार्य करने की मिथिला विरोधी एवं अविकसित मानिसकता को दर्शाता हैं। यह मिथिला को पलायन बेरोजगारी कुव्यवस्था में धकेलने हेतु जयचंद की भूमिका निभा रही है। दरभंगा एम्स जैसे लोक-कल्याणकारी योजाना इन्ही के कारण धरातल पर क्रियान्वयन से कोसों दूर है। मिथिला के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक, शैक्षणिक, साहित्यिक और भाषा के क्षेत्र में समग्र विकास के लिए , मिथिला सूखा और बाढ़ का निरंतर शिकार होता आ रहा है । जहां एक और खेती चौपट हो गई है, वहीं मिथिला के मजदूर पलायन करने को विवश हो रहे हैं। चीनी मिल, पेपर मिल, जूट मिल व अन्य उद्योग – धंधे आदि यहां कबाड़ का ढेर मात्र बने हुए हैं। कृषि , उद्योग-धंधा , पर्यटन , शिक्षा एवं संस्कृति के विकास से ही इस क्षेत्र की दुर्दशा तथा बेरोजगारी का अंत हो सकता है। संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित विश्व की सबसे मधुर एकमात्र भाषा मैथिली को राज-काज की भाषा , प्राथमिक शिक्षा में अनिवार्यता । भौगौलिक , आर्थिक , ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से मिथिला के पास एक राज्य की सारी योग्यताएं हैं ।