मोतिहारी में एक निर्माणाधीन ब्रिज भरभराकर गिरा
बिहार में पुलों के गिरने का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. एक हफ्ते में तीसरा पुल भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया. अररिया और सीवान के बाद अब मोतिहारी में एक ब्रिज भरभराकर गिर गया, जिससे जनता के टैक्स का पैसा पानी में बह गया. यह पुल घोड़ासहन प्रखंड के अमवा से चैनपुर स्टेशन जाने वाली सड़क पर बन रहा था. जानकारी के मुताबिक, इस पुल का निर्माण लगभग डेढ़ करोड़ की लागत से हो रहा है. बताया जा रहा है कि पूल का ढलाई कल (शनिवार, 22 जून) को हुआ था. ढलाई के बाद आज (रविवार, 23 जून) ही पुल का एक ध्वस्त हो गया. पुल का एक हिस्सा जमींदोज हो गया. सुबह-सुबह जब ग्रामीणों ने देखा तो पुल का एक गिस्सा गिरा हुआ पड़ा था.
इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. जानकारी के मुताबिक, इस पुल का निर्माण धीरेंद्र कंस्ट्रक्शन प्रा. लिमिटेड श्रीकृष्णनगर द्वारा कराया जा रहा था. इस हफ्ते में यह तीसरा पुल है जोकि गिरा है. इससे सवाल उठने लगे हैं कि एक महीने के अंदर तीन पुल कैसे गिर सकते हैं. अब बिहार में पुलों के निर्माण की गुणवत्ता पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. इसके पहले इसी सप्ताह अररिया और सीवान में दो अलग अलग पुल गिर चुके हैं.
कल (शनिवार, 22 जून) को सीवान में एक पुल गिरने की घटना हुई थी. यहां महाराजगंज-दरोंदा विधानसभा के बॉर्डर को जोड़ने वाला पुल ध्वस्त हो गया था. लोगों का कहना था कि बिना बारिश के पुल का इस तरह से गिरना बेहद हैरान करने वाली बात है. इस घटना पर जिला मजिस्ट्रेट मुकुल कुमार गुप्ता ने कहा था कि यह पुल बहुत पुराना था. नहर से पानी छोड़े जाने पर खंभे ढह गए. हम कोशिश में हैं कि लोगों को यथासंभव कम असुविधा का सामना करना पड़े. इससे पहले अररिया में लगभग 180 मीटर लंबा एक नवनिर्मित पुल ढह गया था. अररिया के सिकटी में बकरा नदी पर यह पुल बनाया गया था. इस पुल का उद्घाटन किया जाना था, लेकिन इससे पहले ही पुल धड़ाम से गिर गया
वहीं लगातार टूटते पुलों पर बिहार के डिप्टी सीएम और बीजेपी के वरिष्ठ नेता विजय सिन्हा ने बड़ा अजीबो-गरीब बयान दिया है. विजय सिन्हा ने कहा कि जो पुल टूटे हैं, वह पर्थ निर्माण विभाग के नहीं है और ना ही ग्रामीण कार्य विभाग के हैं. उन्होंने कहा कि जो पुल टूट कर पानी में बह गए हैं, वह 35-40 साल पुराने हैं. उनके बयान के मुताबिक, करोड़ों रुपये खर्च करके बने पुलों की मियाद सिर्फ 30-35 साल ही होती है. जबकि देश में अभी भी अंग्रेजों के बनाए कई ब्रिज पूरी मजबूती के साथ खड़े हैं.