प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की प्रथम मुख्य प्रशासिका (1936-1965) मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती जी की 59वीं पुण्यतिथि आध्यात्मिक ज्ञान दिवस के रूप में मनाई गई।
इस मौके पर बीके सविता बहन ने कहा कि मातेश्वरी जी ने आध्यात्मिक शक्ति के द्वारा मानवता की सेवा के पथ को उस समय चुना, जब नारियों को घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं होती थी। उन्होंने अपने त्याग, तपस्या और सेवा से समस्त मानव समुदाय को अध्यात्म के पथ पर चलते हुए समाज की सेवा करने की प्रेरणा प्रदान की। उन्हें ईश्वरीय ज्ञान, गुण और शक्तियों को धारण करके लोगों को अनुभव कराने का स्वयं परमात्मा से दिव्य वरदान प्राप्त था। उनके जीवन से सभी को मातृत्व वात्सल्य का दिव्य अनुभव होता था। उनकी शक्तिशाली दृष्टि से उनसे मिलने वालों की कमी-कमजोरियां स्वत: मिट जाती थीं।
कृष्ण भाई जी ने अपने संबोधन में कहा कि मातेश्वरी जी साक्षात् ज्ञान की देवी थीं। उन्होंने अपने जीवन में परमात्मा के ज्ञान को संपूर्ण रीति आत्मसात किया हुआ था। उनकी ओजस्वी वाणी से लोगों को परम शान्ति और शक्ति का अनुभव होता था। उनका नियमित, संयमित, मर्यादित, तपस्वी जीवन आध्यात्मिक शक्तियों से ओत-प्रोत था। उनके चेहरे-चलन से स्वत: आध्यात्मिक ज्ञान प्रस्फुटित होता था। उनकी हंस समान पवित्र एवं पारखी बुद्धि थी। उन्होंने अनेक आत्माओं को आध्यात्मिकता के रंग से ओत-प्रोत किया, जो ईश्वरीय विश्व विद्यालय के आधार स्तंभ बने।
इस अवसर पर जिले से सैकड़ों लोग उपस्थित थे। जिन्होंने मातेश्वरी जी को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किये। ओम प्रकाश भाई ने भी अपनी कविता के माध्यम से भावांजलि अर्पित की।
मुख्य रूप से डॉ० दशरथ तिवारी, राजकुमार भाई, राकेश माटा, गोपाल कृष्ण दुआ, राकेश सिंह, विनय भाई, सुशील भाई, अशोक भाई, वरुण भाई आदि उपस्थित थे।