सच्ची खबर पी न्यूज पर दिखा रहा हूं मेरे पिता जिंदा में मरने से पहले जो बाते बोले सच निकला
बिहार के समस्तीपुर जिले के सिंघिया प्रखंड के अंतर्गत जहांगीरपुर पंचायत स्थित जहांगीरपुर ग्राम का मैं निवासी हूं एक वर्ष पूर्व के घटना आज मुझे याद हो रहा की मेरे पूज्य पिता जी स्वर्गीय फुलेश्वर पासवान सेवा निवृत शिक्षक उम्र 72वर्ष था जिनका निधन 12 सितंबर 2023 दिन मंगलवार को 10 बजे रात्री में हो गया था निधन होने के दिन मंगलवार को दिन में वे हमारे हाथों और पूरे परिवार के सदस्यों के हाथों से गंगा जल पीना शुरू किए साथ ही यह बोले की अब हम नही बचेंगे भगवान के घर जा रहा हूं । विश्वकर्मा पूजा नही होगा चौरचन पर्व नही होगा हम आज नही रहूंगा तुम सभी भाई को रात भर सोने नहीं दूंगा जागकर रहेगा 23 सितंबर 2023 शनिवार को नख बाल 24सितंबर 2023 रविवार श्राद्ध होगा तथा 25सितंबर को अंतिम कर्म होगा।लेकिन ऊपर वाले भगवान भी मेरे पिता जी के बातो को सुन रहे थे मंगलवार को ठीक 10 बजे रात्री में सर और पेट में दर्द होने की बात बताकर 10 मिनट के लिए बैचेन हुए और आत्मा निकल गया तथा पिता जी का निधन हो गया था । उनका दाह संस्कार सिमरिया के गंगा घाट पर किया चुकी मेरे पिता जी मिडिल स्कूल बिथान में 11 जनवरी1983 में सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्ति हुई थी 24वर्ष बिथान में नौकरी करने के बाद सिंघिया प्रखंड के मिडिल स्कूल माहे में स्थानांतरण हो गया तो 4 जुलाई 2007 को माहे में योगदान किए तथा 28फरवरी 2013 को सेवानिवृत हो गए।सेवा निवृत होने के पश्चात उन्हें सुगर हो गया जिस कारण बराबर सुगर और बीपी से परेशान होने लगे और बराबर दवा खाना पर रहा था दो बार परर्लैसिस का झटका भी लगा था तथा अक्टूबर 2021 जांच के बाद डॉक्टर अनिल कुमार मेहता ने बता दिया था की मेरे पिता जी का दोनो किडनी खराब हो गया है जब तक चल रहा है चलने दीजिए दवा और सेवा कीजिए वह बात भी मेरे पिता जी को क्लीनिक से बाहर निकलने के बाद मुझे दुबारा क्लीनिक में बुलाकर बोले जिस बात को लेकर पिता जी बराबर बोलते थे की डॉक्टर ने हमे निकलने के बाद तुम्हे क्या बोला जिस पर मैं पिता जी को बोला की डॉक्टर साहेब बोले है की समय समय पर दवा और खान पान में ध्यान दीजिए गुस्सा नही करने को कहिए ।आखिर 12 सितंबर 2023 को इस दुनिया की जंग हारकर मेरे पिता चल बसे ।उनका जन्म 4फरवरी 1953 में हुआ था मेरे दादा जी स्वर्गीय विंदेश्वरी पासवान के साधारण किसान थे ।देखते ही देखते आज पिता जी का वर्खी का समय आ गया इसलिए पुराने याद को आज ताजा कर रहा हूं जब तक पिता जी सर्विस में रहे कभी सर दर्द और बुखार तक का दवा नही खाना पड़ा ज्यों ही सेवानिवृत हुए विभिन्न प्रकार से अस्वास्थ्य हो गए जबकि अपनी जवानी में कोल्हुआ घाट से पैदल कॉलेज करने रोसड़ा जाते थे।आज पिता जी को नहीं रहने से हम चार भाई और दो बहन को कमी खिलता है ।चार भाई में भी वे हमसे ज्यादा लगाव रखते थे जब हम घर से बाहर निकलते तब ही हटते थे और ज्यों ही घर पहुंचा मेरे पास आकर बैठ जाते न्यूज बनाने में तोड़ा गड़बड़ी होता तो इस अवस्था में भी मुझे डांट सुनने को मिलता जो मेरे लिए आशीर्वाद था घर आने में जब लेट होता तो फोन कर डांटते और खोजने के लिय रात्री में घर से निकल पड़ते जिसकी जानकारी मुझे मिलता की पिता जी टॉर्च लेकर चले है मैं डर के मारे चौक चौराहे पर बैठना छोड़कर घर आ जाता था आज मुझे अकेलेपन लग रहा है वे अपने नौकरी करने के समय ड्यूटी में कभी लापरवाही नही किए