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November 7, 2025 5:56 am

अन्त चतुर्दशी पूजा का महत्व 

अन्त चतुर्दशी पूजा का महत्व

अन्त चतुर्दशी को भाद्रपद मास (भादो) कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इसे अनन्त चतुर्दशी भी कहते हैं। यह पर्व मुख्यतः भगवान अनन्त नारायण (भगवान विष्णु) को समर्पित है।

महत्व

इस दिन भक्तजन भगवान विष्णु के अनन्त स्वरूप की पूजा कर उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं।

अनन्त चतुर्दशी के दिन अनन्त सूत्र (लाल और पीले रंग का धागा) बांधने की परंपरा है।

इस व्रत को रखने से परिवार में सुख-समृद्धि, शांति और संकटों से रक्षा होती है।

खासकर उत्तर भारत में इसे घर-घर में मनाया जाता है, वहीं महाराष्ट्र और कई जगह पर इस दिन गणेश विसर्जन भी किया जाता है।

 

पूजा विधि

1. व्रत व स्नान

प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें।

 

2. अनन्त भगवान की स्थापना

पूजा स्थान पर भगवान विष्णु (शालिग्राम/चित्र/प्रतिमा) की स्थापना करें।

पास में कलश, शुद्ध जल, फल, पुष्प और पंचामृत रखें।

 

3. अनन्त सूत्र तैयार करें

पीले या लाल रंग का धागा लें और उसमें 14 गांठें लगाएं।

इसे पूजा में भगवान को अर्पित कर बाद में दाहिने हाथ में (पुरुष) या बाएं हाथ में (महिला) बांधा जाता है।

 

4. पूजन प्रक्रिया

दीपक और धूप जलाएं।

भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं।

तिल, कुश, दूर्वा, पुष्प और फल चढ़ाएं।

अनन्त व्रत कथा का पाठ करें।

 

5. प्रसाद व भोजन

व्रती दिनभर व्रत रखते हैं और संध्या के समय पूजा कर प्रसाद ग्रहण करते हैं।

कुछ लोग इस दिन बिना नमक का भोजन करते हैं।

 

 

👉 यह व्रत 14 वर्षों तक लगातार करने की परंपरा भी बताई गई है, जिससे परिवार में स्थायी सुख-शांति बनी रहती है।

K k sanjay
Author: K k sanjay

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