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November 7, 2025 5:06 am

समस्तीपुर का देवखाल चौर, जंहा द्रौपदी ने पांडवों के लिए किया था छठ

समस्तीपुर का देवखाल चौर, जंहा द्रौपदी ने पांडवों के लिए किया था छठ

समस्तीपुर के दलसिंहसराय का देवखाल चौर, जंहा महाभारत काल मे लाक्षागृह से सुरक्षित बचने के बाद,पांडवो के लिए द्रोपदी ने छठ किया था . आज भी यंहा इस महापर्व को लेकर श्रद्धालुओं में खास आस्था है.यहां आज भी इस महापर्व पर खास आयोजन होता है

समस्तीपुर के उजियारपुर प्रखंड में है देवखाल चौर : समस्तीपुर के उजियारपुर प्रखंड के भगवानपुर कमला गांव स्थित देवखाल चौर, पांच हजार से भी अधिक एकड़ में फैले इस चौर को लेकर खास पौराणिक मान्यता है. महाभारत कालीन इतिहास से जुड़े इस चौर में कभी खुद द्रौपदी ने छठ किया था.
लक्षागृह कांड के बाद पांडव सुरंग से बाहर निकले थे : मान्यताओं के अनुसार , यहां से करीब कुछ किलोमीटर दूर पांडव स्थान में लक्षागृह कांड के बाद सुरंग से पांडव बाहर निकले थे. उस समय कार्तिक मास चल रहा था , पांडवों की जान बचने के बाद इसी घाट पर द्रौपदी ने छठ पूजा की थी.
सुरंग बनाकर पहुंचे थे पांडवः करीब 22 एकड़ में फैला ये स्थान महाभारत काल से जुड़ा हुआ है. कहा जाता है कि जब दुर्योधन ने लाक्षागृह में आग लगाकर पांडवों को जलाकर मारने की कोशिश की थी तब सुरंग के रास्ते सभी पांडव इस स्थान पर आए और कई दिनों तक यहां वास किया
देवखाल चौर का पानी कभी नही सूखता :वहीं हजारों एकड़ के इस देवखाल चौर का पानी कभी नही सूखता. अपने इसी पौराणिक महत्व के कारण यंहा दूरदराज से छठ व्रती भगवान भाष्कर को अर्घ्य देने पंहुचते है.वर्तमान में यहां पांडव कृष्ण धाम मंदिर बना है, जिसमेंं पांचों पांडव समेत भगवान कृष्ण की प्रतिमा स्थापित है.
खुदाई में मिले कुषाणकालीन अवशेषः महाभारत काल से जुड़े होने के साथ-साथ 2002 में हुए पुरातात्विक उत्खनन में कुषाणकालीन सभ्यता के भी प्रमाण मिले थे. यहां ऐसी दीवारें भी मिली थीं, जो 45 सेमी से लेकर एक मीटर तक चौड़ी थीं. इसके अलावा मृदभांड के एक टुकड़े पर ब्राह्मी लिपि का अभिलेख भी मिला था. इसके अलावा कई दुर्लभ मूर्तियां और अन्य दुर्लभ चीजें प्राप्त हुई थीं.

किसान रामगुलाम महतो की मानें तो “उनके खेतों में पुरातत्व विभाग ने खुदाई की थी”

पुरातत्व विभाग कर रहा कई साक्ष्यों की जांच : देवखाल चौर से कुछ किलोमीटर स्थित पांडवनगर में कई बार पुरातत्व विभाग ने खुदाई किया. वहीं यहां से मिले कई साक्ष्य पर आज भी रिसर्च चल रहा है. वहीं देवखाल चौर को भी पर्यटन के लिए विकसित करने की मांग लंबे वक्त से ग्रामीण कर रहे है.

K k sanjay
Author: K k sanjay

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